Thursday, December 20, 2018

जो बेटी अपने बाप को कर्ज में डुबो दे वैसी *"कर्ज वाली लडकि"* मुझे कुबूल नही...

*कर्ज वाली लडकि*

एक 15 साल का भाई अपने पापा से कहा "पापा पापा बाजि के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है" अभी जीजाजी ने फोन पर बताया।

बाजि मतलब उसकी बड़ी बहन की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे घर में तय हुई थी।

दीनमोहम्मद जी पहले से ही उदास बैठे थे धीरे से बोले...

हां बेटा.. उनका कल ही फोन आया था कि वो एक दो दिन में *दहेज* की  बात करने आ रहे हैं.. बोले... *दहेज* के बारे में आप से ज़रूरी बात करनी है..

बड़ी मुश्किल से यह अच्छा लड़का मिला था.. कल को उनकी *दहेज* की मांग इतनी ज़्यादा हो कि मैं पूरी नही कर पाया तो ?"

कहते कहते उनकी आँखें भर आयीं..

घर के प्रत्येक सदस्य के मन व चेहरे पर फिक्र की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी...लड़की भी उदास हो गयी...

खैर..

अगले दिन समधी समधिन आए.. उनकी खूब आवभगत की गयी..

कुछ देर बैठने के बाद लड़के के पिता ने लड़की के पिता से कहा" दीनमोहम्मद जी अब काम की बात हो जाए..

दीनमोहम्मद जी की धड़कन बढ़ गयी.. बोले.. हां हां.. समधी जी.. जो आप हुकुम करें..

लड़के के पिताजी ने धीरे से अपनी कुर्सी दीनमोहम्मद जी कि और खिसकाई ओर धीरे से उनके कान में बोले. दीनमोहम्मद जी मुझे *दहेज* के बारे बात करनी है!...

दीनमोहम्मद जी हाथ जोड़ते हुये आँखों में पानी लिए हुए बोले बताईए समधी जी....जो आप को उचित लगे.. मैं पूरी कोशिश करूंगा..

समधी जी ने धीरे से दीनमोहम्मद जी का हाथ अपने हाथों से दबाते हुये बस इतना ही कहा.....

आप लडकि कि विदाई में कुछ भी देगें या ना भी देंगे... थोड़ा देंगे या ज़्यादा देंगे.. मुझे सब कबूल है... पर *कर्ज लेकर* आप एक रुपया भी *दहेज मत देना.* वो मुझे कुबूल नहीं..

क्योकि जो बेटी अपने बाप को कर्ज में डुबो दे वैसी *"कर्ज वाली लडकि"* मुझे कुबूल नही...

मुझे बिना कर्ज वाली बहू ही चाहिए.. जो मेरे यहाँ आकर मेरे घर को बरकतों से भर देगी..

दीनमोहम्मद जी हैरान हो गए.. उनसे गले मिलकर बोले.. समधी जी बिल्कुल ऐसा ही होगा..

शिक्षा-  *कर्ज वाली लडकि ना कोई विदा करें न ही कोई कबुल करे*.

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