एक बेटा अपने बूढ़े पिता को वृद्धाश्रम एवं अनाथालय में छोड़कर वापस लौट रहा था;
उसकी पत्नी ने उसे यह सुनिश्चत करने के लिए फोन किया कि पिता त्योहार वगैरह की छुट्टी में भी वहीं रहें! घर ना चले आया करें !
उसकी पत्नी ने उसे यह सुनिश्चत करने के लिए फोन किया कि पिता त्योहार वगैरह की छुट्टी में भी वहीं रहें! घर ना चले आया करें !
बेटा पलट के गया तो पाया कि उसके पिता वृद्धाश्रम के प्रमुख के साथ ऐसे घलमिल कर बात कर रहे हैं जैसे बहुत पुराने और प्रगाढ़ सम्बंध हों…तभी उसके पिता अपने कमरे की व्यवस्था देखने के लिए वहाँ से चले गए..अपनी उत्सुकता शांत करने के लिए बेटे ने अनाथालय प्रमुख से पूँछ ही लिया…“आप मेरे पिता को कब से जानते हैं ? ”मुस्कुराते हुए वृद्ध ने जवाब दिया…“पिछले तीस साल से…जब वो हमारे पास एक अनाथ बच्चे को गोद लेने आए थे! ”
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