हे मित्रवर ,
वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी |
सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था
और उनकी कॉपिया जाचने के लिए घर ले आई
थी | बच्चो की कॉपिया देखते देखते उसके आंसू
बहने लगे |
उसका पति वही लेटे mobile देख रहा था |
उसने रोने का कारण पूछा ।
टीचर बोली , “सुबह मैंने बच्चो को ‘मेरी सबसे
बड़ी ख्वाइश’ विषय पर कुछ पंक्तिया लिखने
को कहा था ;
एक बच्चे ने इच्छा जाहिर करी है की भगवन
उसे Mobile बना दे |
यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे |
टीचर बोली , “आगे तो सुनो बच्चे ने लिखा है
यदि मै mobile बन जाऊंगा, तो घर में मेरी एक
खास जगह होगी और सारा परिवार मेरे इर्द-
गिर्द रहेगा |
जब मै बोलूँगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान
से सुनेंगे | मुझे रोका टोका नहीं जायेगा
और नहीं उल्टे सवाल होंगे |
जब मै mobile बनूंगा, तो पापा ऑफिस से आने
के बाद थके होने के बावजूद मेरे साथ बैठेंगे |
मम्मी को जब तनाव होगा,
तो वे मुझे डाटेंगी नहीं, बल्कि मेरे साथ रहना
चाहेंगी |
मेरे बड़े भाई-बहनों के बीच मेरे पास रहने के
लिए झगड़ा होगा |
यहाँ तक की जब mobile बंद रहेगा, तब भी
उसकी अच्छी तरह देखभाल होगी |
और हाँ , mobile के रूप में मै सबको ख़ुशी भी दे
सकूँगा | “
यह सब सुनने के बाद पति भी थोड़ा गंभीर होते
हुए बोला ,
‘हे भगवान ! बेचारा बच्चा …. उसके
माँ-बाप तो उस पर जरा भी ध्यान नहीं देते !’
टीचर पत्नी ने आँसू भरी आँखों से उसकी तरफ
देखा और बोली,
“जानते हो, यह बच्चा कौन है?
………………………हमारा अपना बच्चा……
हमारा छोटू ”...
सोचिये, यह छोटू कहीं आपका बच्चा
तो नहीं ।
मित्रों , आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हमें
वैसे ही एक दूसरे के लिए कम
वक़्त मिलता है , और अगर हम वो भी
सिर्फ टीवी देखने , मोबाइल पर
खेलने और फेसबुक से चिपके रहने में
गँवा देंगे तो हम कभी अपने रिश्तों की
अहमियत और उससे मिलने वाले प्यार
को नहीं समझ पायेंगे।
यदि मेरी बात से सहमत है तो दो शब्द अवश्य
कहे ...
वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी |
सुबह उसने बच्चो का टेस्ट लिया था
और उनकी कॉपिया जाचने के लिए घर ले आई
थी | बच्चो की कॉपिया देखते देखते उसके आंसू
बहने लगे |
उसका पति वही लेटे mobile देख रहा था |
उसने रोने का कारण पूछा ।
टीचर बोली , “सुबह मैंने बच्चो को ‘मेरी सबसे
बड़ी ख्वाइश’ विषय पर कुछ पंक्तिया लिखने
को कहा था ;
एक बच्चे ने इच्छा जाहिर करी है की भगवन
उसे Mobile बना दे |
यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे |
टीचर बोली , “आगे तो सुनो बच्चे ने लिखा है
यदि मै mobile बन जाऊंगा, तो घर में मेरी एक
खास जगह होगी और सारा परिवार मेरे इर्द-
गिर्द रहेगा |
जब मै बोलूँगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान
से सुनेंगे | मुझे रोका टोका नहीं जायेगा
और नहीं उल्टे सवाल होंगे |
जब मै mobile बनूंगा, तो पापा ऑफिस से आने
के बाद थके होने के बावजूद मेरे साथ बैठेंगे |
मम्मी को जब तनाव होगा,
तो वे मुझे डाटेंगी नहीं, बल्कि मेरे साथ रहना
चाहेंगी |
मेरे बड़े भाई-बहनों के बीच मेरे पास रहने के
लिए झगड़ा होगा |
यहाँ तक की जब mobile बंद रहेगा, तब भी
उसकी अच्छी तरह देखभाल होगी |
और हाँ , mobile के रूप में मै सबको ख़ुशी भी दे
सकूँगा | “
यह सब सुनने के बाद पति भी थोड़ा गंभीर होते
हुए बोला ,
‘हे भगवान ! बेचारा बच्चा …. उसके
माँ-बाप तो उस पर जरा भी ध्यान नहीं देते !’
टीचर पत्नी ने आँसू भरी आँखों से उसकी तरफ
देखा और बोली,
“जानते हो, यह बच्चा कौन है?
………………………हमारा अपना बच्चा……
हमारा छोटू ”...
सोचिये, यह छोटू कहीं आपका बच्चा
तो नहीं ।
मित्रों , आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगी में हमें
वैसे ही एक दूसरे के लिए कम
वक़्त मिलता है , और अगर हम वो भी
सिर्फ टीवी देखने , मोबाइल पर
खेलने और फेसबुक से चिपके रहने में
गँवा देंगे तो हम कभी अपने रिश्तों की
अहमियत और उससे मिलने वाले प्यार
को नहीं समझ पायेंगे।
यदि मेरी बात से सहमत है तो दो शब्द अवश्य
कहे ...
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