Saturday, November 24, 2018

सोचो और दिमाग की बत्ती तो कम से कम जलाकर देखो

एक दिन मुल्ला नसीरूदीन बकरे का एक किलो माँस ख़रीदकर लाए और
अपनी बेगम को अच्छे से मीट बनाने के लिए बोलकर खुद नहा धो कर थोडा मूड बनाने के लिए बाज़ार की ओर चल दिए।

बेगम ने देसी घी में खूब मसाले डाल कर बहुत स्वादिष्ट मीट बनाया। पति का इंतज़ार करते करते बेगम नमक-मिर्च चेक करने के चक्कर में ही धीरे-धीरे सारा मीट ही चट कर गई।

मुल्ला जब वापिस आए तो बेगम उनके सामने खाली पतीला रख कर बोली

कि - जी, मीट तो सारा यह बिल्ली खा गई है।
मुल्ला जी ने बिल्ली को पकड़ लिया।

बड़ी शिद्दत से उस बिल्ली को तराजू में तोला तो बिल्ली पूरे
01 किलो की ही निकली।

मुल्ला ने परेशान हो कर बेगम से पूछा,
"बेगम साहिबा अगर ये बिल्ली है तो
मीट कहाँ है
और
अगर ये मीट है तो
बिल्ली कहाँ है?"

प्रधान मंत्री और सरकारी अर्थशास्त्रियों द्वारा की गई नोटबंदी के ऐसे ही उलझे हुए एक सवाल का जवाब आज तक भारत की जनता को समझ नहीं आ रहा कि अगर रिज़र्व बैंक की तिजोरी में आया सारा पैसा सफेद है

तो काला धन कहाँ है और अगर ये सारा काला धन है तो देश की जनता का सफ़ेद धन कहाँ है????

सोचो और दिमाग की बत्ती तो कम से कम जलाकर देखो

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